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धनतेरस क्यों मनाया जाता है -Dhanteras Kyu Manaya Jata Hai

धनतेरस का त्योहार भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के दिन के रूप में मनाया जाता है
धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन आयुर्वेद के देव धन्वंतरि जी समुद्र मंथन से हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
इसलिए धनतेरस का दिन बर्तन की खरीदारी के लिए बेहद शुभ होता है।
धनतेरस मनाने का कारण क्या है
पौराणिक कथा के अनुसार, इसी तिथि को समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे
इसलिए इस दिन भगवान धन्वंतरि के साथ माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा अर्चना की जाती है।
Dhanteras Ki Kahani: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस तिथि को समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इस वजह से इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी तिथि के नाम से ही जाना जाता है। भगवान धन्वंतरि के अलावा इस दिन माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। इस दिन दीपावली का पर्व शुरू हो जाता है और इस दिन सोना-चांदी या नए बर्तन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं धनतेरस क्यों मनाया जाता है और इसकी कहानी क्या है।

चिकित्सा विज्ञान का किया था प्रचार

भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य को ही सबसे बड़ा धन माना गया है और इस दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंश माना जाता है और इन्होंने ही संसार में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया। इस दिन घर के द्वार पर तेरस दीपक जलाए जाने की प्रथा है। धनतेरस दो शब्दों से मिलकर बना है – पहला धन और दूसरा तेरस जिसका अर्थ होता है धन का तेरह गुना। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के कारण इस दिन को वैद्य समाज धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाता है।

इसलिए मनाया जाता है धनतेरस का पर्व

शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिस तिथि को भगवान धन्वंतरि समुद्र से निकले, वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी। भगवान धन्वंतरि समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है। भगवान धन्वंतरि को विष्णु भगवान का अंश माना जाता है और इन्होंने ही पूरी दुनिया में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया। भगवान धन्वंतरि के बाद माता लक्ष्मी दो दिन बाद समुद्र से निकली थीं इसलिए उस दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इनकी पूजा-अर्चना करने से आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है।

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