टाइफॉइड (typhoid) treatment
टाइफॉइड एक गैस्ट्रोइंटेस्टिनल इंफेक्शन है, जो साल्मोनेला बैक्टीरिया के कारण होता है। टाइफॉइड होने पर तेज बुखार, डायरिया और उल्टी जैसे लक्षण दिखते हैं। टाइफॉइड के मामले भारत के साथ-साथ अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों जैसे अफ्रीका, मध्य व दक्षिण अमेरिका एवं पश्चिमी प्रशांत देशों में भी देखे जाते हैं।
टाइफॉइड क्या है? (what Is Typhoid)
टाइफॉइड एक गैस्ट्रोइंटेस्टिनल इंफेक्शन (gastrointestinal infection) है, जो साल्मोनेला टाइफी (S.typhi) के कारण होता है। टाइफॉइड होने पर तेज बुखार, डायरिया और उल्टी मुख्य रूप से होता है। दूषित पानी या भोजन के जरिए इस बैक्टीरियल इंफेक्शन के होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। एस. टाइफी मुंह के जरिए आपकी आंतों में प्रवेश करके वहां लगभग एक से तीन सप्ताह तक रहता है। उसके बाद आंतों की दीवार (intestinal wall) के जरिए आपके रक्तप्रवाह (bloodstream) में प्रवेश कर जाता है। खूने से ये टाइफॉइड बैक्टीरिया अन्य ऊतकों (Tissues) और अंगों (Organs) में फैलकर कोशिकाओं के अंदर छिप जाता है, जिसका पता आपकी प्रतिरक्षा कोशिकाएं (immune cells) भी नहीं लगा पाती हैं। टाइफॉइड के लिए बेहतर इलाज उपलब्ध है। हालांकि, इलाज ना कराने से यह आपके लिए घातक हो सकता है। टाइफॉइड की संभावित जटिलताओं में किडनी फेलियर, गंभीर जीआई रक्तस्राव (GI bleeding) आदि शामिल हैं।
कुछ अनुमानों के अनुसार, टाइफ़ॉइड से प्रभावित लगभग 3-5 प्रतिशत लोग इस जीवाणु के वाहक (carriers) बन जाते हैं। एसिम्प्टोमेटिक लोग भी टाइफॉइड बैक्टीरिया के वाहक बन सकते हैं।
टाइफॉइड के लक्षण (symptoms Of Typhoid)
टायफायड के रोगियों को बैक्टीरिया के संपर्क में आने के लगभग 1-3 सप्ताह बाद लक्षण दिखाई देते हैं। गंभीरता के आधार पर रोग की अवधि 3 से 4 सप्ताह तक भी हो सकती है। सामान्य इंक्यूबेशन समय 7 से 14 दिन है। टाइफॉइड के कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:-
- सिरदर्द
- कब्ज या डायरिया
- तेज बुखार (103° फेरेनहाइट)
- भूख ना लगना
- लिवर और स्प्लीन का बढ़ जाना
- सीने पर लाल रंग के निशान
- थकान
- ठंड लगना
- दर्द और कमजोरी महसूस होना
- पेट में दर्द
टाइफॉइड के कारण (causes Of Typhoid)
टाइफॉइड बुखार तब होता है, जब कोई व्यक्ति ऐसे खाद्य पदार्थों और पानी का सेवन करता है, जिसमें एस टाइफी बैक्टीरिया की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसके अलावा, एक टाइफाइड रोगी के मल (Stool) से उसके चारों-तरफ होने वाली पानी की आपूर्ति भी दूषित हो सकती है। इसके बदले में मरीज के चारों-तरफ होने वाला फूड सप्लाई चेन भी दूषित हो सकता है।
टाइफॉइड का निदान (diagnosis Of Typhoid)
यदि आपके लक्षणों को देखने के बाद डॉक्टर को लगेगा कि यह टाइफॉइड हो सकता है, तो वह कुछ टेस्ट करवाने के लिए बोल सकता है। साल्मोनेला टाइफी आपके शरीर में मौजूद है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए ब्लड, स्टूल, यूरिन कल्चर या बोन मैरो टेस्ट करवाना पड़ सकता है। बोन मैरो कल्चर को टाइफाइड बैक्टीरिया के लिए सबसे संवेदनशील टेस्ट माना जाता है। डॉक्टर टाइफॉइड डीएनए और एंटीबॉडीज की जांच के लिए अन्य ब्लड टेस्ट करवाने का सुझाव भी दे सकता है।
टाइफॉइड का उपचार (treatment Of Typhoid)
एंटीबायोटिक्स जैसे सिप्रोफ्लैक्सिन (ciproflaxin) और सेफ्ट्रिएक्जोन (ceftriaxone) आमतौर पर टाइफॉइड के इलाज में दिया जाता है। एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycin) भी इसके इलाज का एक दूसरा विकल्प है। हालांकि, ये प्रेग्नेंट महिलाओं को खाने के लिए नहीं दी जाती हैं। टाइफॉइड के गंभीर मामलों में कई बार आंतों में छेद हो जाता है, जिसे सिर्फ सर्जरी के जरिए ही ठीक किया जा सकता है।
टाइफॉइड में खानपान (typhoid Diet)
टाइफॉइड बुखार होने पर इससे पीड़ित लोगों में पाचन या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से संबंधित समस्याएं होती हैं। इस बैक्टीरियल इंफेक्शन से संबंधित लक्षणों में भूख न लगना और मतली शामिल है। आप एक हेल्दी और बैलेंस डायट लेकर टाइफॉइड को आसानी से मैनेज कर सकते हैं। पोषण विशेषज्ञ छोटे, मगर कम अंतराल पर भोजन करने की सलाह देते हैं। टाइफाइड होने पर आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। टाइफॉइड से निपटने के लिए डायट में कार्ब्स, फैट और प्रोटीन के संतुलन को बनाए रखने की आवश्यकता होती है। लक्षणों को कम करने और उपचार प्रक्रिया को सुचारू बनाए रखने के लिए आप इन फूड्स का सेवन करें:-
– हाई-कैलोरी युक्त डायट लें। टाइफॉइड में वजन काफी कम हो जाता है। कैलोरी से भरपूर आहार के सेवन से वजन फिर से बढ़ा सकते हैं। शरीर का वजन बढ़ाने के लिए रोटी, केला, उबला हुआ आलू अधिक खाएं।
– तरल पदार्थ अधिक लें। टाइफॉइड में तेज बुखार और डायरिया होने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। शरीर में तरल पदार्थ के स्तर में कमी होने से उपचार में समस्याएं आ सकती हैं। पर्याप्त पानी और ताजे फलों से तैयार जूस का सेवन अधिक करें।
– उबले हुए चावल, बेक्ड आलू खाएं। इन्हें पचाना आसान होता है।
– अपने भोजन में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे फलियां, पनीर और दही शामिल करें। मांस के सेवन से परहेज करें, क्योंकि इसे पचाना आसान नहीं होगा।
– हाई फाइबर, मसालेदार और तली-भुनी चीजों को खाने से परहेज करें। घी, मक्खन और डेयरी उत्पादों को भी कुछ दिनों तक खाने से बचें।
टाइफॉइड से बचाव (prevention Of Typhoid)
डब्ल्यूएचओ टाइफॉइड से बचाव के लिए दो टीकों की सिफारिश करता है, जिसमें से एक निष्क्रिय टीका शॉट (inactivated vaccine shot) और दूसरा लाइव टीका (Live) है।
वैक्सीन शॉट (Vaccine shot) : यह इंजेक्शन 2 वर्ष से अधिक उम्र के लोग ले सकते हैं। उच्च जोखिम वाली श्रेणी में आने वाले लोगों के लिए इस खुराक को बार-बार लेने की सलाह दी जाती है।
ओरल वैक्सीन (Oral Vaccine) : यह 6 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को दी जा सकती है। यह 4 गोलियों के पैक में आता है, जिनमें से तीन को अल्टरनेट डेज पर लेना होता है। डॉक्टर आखिरी टैबलेट आपको एक सप्ताह पहले लेने की सलाह दे सकता है, जब आपको किसी हाई टाइफॉइड प्रभावित स्थान पर जाना हो। सभी कैप्सूल को खाना खाने से एक घंटे पहले लेना होता है। इन कैप्सूल को फ्रिज में रखना जरूरी होता है। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए डॉक्टर प्रत्येक 5 साल में इस टीके की एक बूस्टर खुराक लेने की सलाह देते हैं।
वैक्सीन के अलावा कई अन्य उपाय ऐसे हैं, जिन्हें अपनाकर आप टाइफॉइड से बचे रह सकते हैं:
- हाथों की साफ-सफाई का ख्याल रखें। खाना खाने से पहले और वॉशरूम से आने के बाद हाथों को साबुन से धोएं।
- स्ट्रीट फूड से परहेज करें। यहां टाइफॉइड बैक्टीरिया के पनपने की संभावना अधिक होती है।
- घर के बर्तनों को साफ-स्वच्छ पानी से धोएं।
- घर का बना ताजा और गर्म खाना खाएं, क्योंकि उच्च तापमान में बैक्टीरिया के बढ़ने की संभावना कम हो जाती है।
- कच्ची सब्जी, फल खाने और दूषित पानी पीने से बचें।
- अपने सभी घरेलू सामानों (विशेष रूप से रसोई के सामान) की साफ-सफाई करत रहें।